Winds and beats are defining my existence now
I am my own tribe worshipping the vibe.
"My revival is ensured by infinity,
yet I admire nature with uncertainty."
Is this an irony not wanting to succumb to any metaphor.
Or is it my persona overlapping my soul.
My picturesque appetite is thriving on my senses.
And yet any number of circumambulations
are not sufficient to settle me to the core.
My feathers ask me to not get suppressed by any hierarchy
which can potentially puncture my freedom,
but what's freedom
if not infiltrating the cause with perfection!
हवाएं और धड़कनें अब मेरे अस्तित्व को परिभाषित कर रही हैं
मैं अपनी ही जनजाति हूं, जीवंतता की पूजा करती हूं।
"मेरा पुनरुद्धार अनंत द्वारा सुनिश्चित है,
फिर भी मैं अनिश्चितता के साथ प्रकृति की प्रशंसा करती हूँ"।
क्या यह एक विडम्बना है जो किसी रूपक के आगे झुकना नहीं चाहती।
या क्या यह मेरा व्यक्तित्व मेरी आत्मा पर हावी है?
मेरी सुरम्य भूख मेरी इंद्रियों पर पनप रही है।
और फिर भी कितनी भी परिक्रमाएँ
मुझे पूरी तरह से व्यवस्थित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
मेरे पंख मुझसे कहते हैं कि मैं किसी भी पदानुक्रम से न दबूं
जो संभावित रूप से मेरी आज़ादी को ख़त्म कर सकता है,
लेकिन स्वतंत्रता क्या है यदि प्रवृत्तियों में पूर्णता के साथ घुसपैठ नहीं है तो?
- By Rishika Rathore
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